Sunday 15 May 2011

गीता:एक जीवनदर्शन(part 1 )

 गीता की शुरुआत धृतराष्ट्र  के पक्ष  से होती है और जब की गीता में कृष्ण  अर्जुन का संवाद है ऐसे में सोचने वाली बात यह है की ये धृतराष्ट्र यहाँ क्या  कर रहा है. वास्तव में बात ये है की महाभारत के युद्ध से पहले धृतराष्ट्र ने अपने सब से प्रिय मंत्री संजय को बुलाया और बुला कर ये कहा की अब केवल आप से ही आशा रखता हूँ कि आप कुछ ऐसा करेंगे  की जिस से ये युद्ध ना होने पाए और पांड्वो में ऐसी निराशा भर दो की ये युद्ध ही ना कर सके इसलिए धृतराष्ट्र  के वाक्य से गीता का प्रारंभ होता है .राजा धृतराष्ट्र ये जानना चाहता है और कहता है  "हे संजय तुम्हारे उपदेश का कुछ प्रभाव हुआ की नहीं. संजय फिर कहता है की दोनों सेनाये कुरुक्षेत्र की रणभूमि में आमने सामने खड़ी है और अर्जुन ने अपने सारथी  श्रीकृष्ण को ये कहा की मेरे रथ को दोनों सेनाओ के मध्य में ले चलो मै ये देखना चाहता हूँ की कौन मेरे साथ खड़ा और कौन नहीं   .....to be continued...

4 comments:

  1. sir,you have started writing about geeta,it is very great and we expect that you will write more and more to enhance our learning from geeta....
    very good keep it up

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  2. a very good starting that we were waiting for....we are waiting for your next post

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  3. Pandit ji namaskar,

    Sub se pehle blog banane ke liye dher sari badhaiya aur shubhkamnai. Issi prakar gyan rupi prakash se hum sub ko gyan ki roshni baante rahe.

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  4. good but what about next post???

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