महाभारत में ये धृत राष्ट्र जो पात्र है वो हर युग में होता है
Aacharya BrahmDev Vedalankar
Sunday 22 May 2011
Sunday 15 May 2011
गीता:एक जीवनदर्शन(part 1 )
गीता की शुरुआत धृतराष्ट्र के पक्ष से होती है और जब की गीता में कृष्ण अर्जुन का संवाद है ऐसे में सोचने वाली बात यह है की ये धृतराष्ट्र यहाँ क्या कर रहा है. वास्तव में बात ये है की महाभारत के युद्ध से पहले धृतराष्ट्र ने अपने सब से प्रिय मंत्री संजय को बुलाया और बुला कर ये कहा की अब केवल आप से ही आशा रखता हूँ कि आप कुछ ऐसा करेंगे की जिस से ये युद्ध ना होने पाए और पांड्वो में ऐसी निराशा भर दो की ये युद्ध ही ना कर सके इसलिए धृतराष्ट्र के वाक्य से गीता का प्रारंभ होता है .राजा धृतराष्ट्र ये जानना चाहता है और कहता है "हे संजय तुम्हारे उपदेश का कुछ प्रभाव हुआ की नहीं. संजय फिर कहता है की दोनों सेनाये कुरुक्षेत्र की रणभूमि में आमने सामने खड़ी है और अर्जुन ने अपने सारथी श्रीकृष्ण को ये कहा की मेरे रथ को दोनों सेनाओ के मध्य में ले चलो मै ये देखना चाहता हूँ की कौन मेरे साथ खड़ा और कौन नहीं .....to be continued...
Saturday 7 May 2011
गीता एक जीवनदर्शन
गीता एक जीवनदर्शन है जिस ने इस को समझा वो जीत गया यदि आप जीवन में जीत चाहते हो तो इस ब्लॉग को जरुर पढना
Subscribe to:
Posts (Atom)