Thursday 25 January 2018

26januray


नमस्ते जी।

आज हमारे  श्रेष्ठ आर्यावर्त भारतवर्ष का पावन पवित्र गणतंत्र पर्व है।आज एक प्रकार से राष्ट्रीय अनुशासन पर्व है आइये कुछ चिन्तन मनन करे जिस से हमारे जीवन मे अग्नि मिसाइल जैसी लक्ष्य सिद्धि हो,इसरो के सैटलाइट की तरह दूरदृष्टि हो सर्वत्र विजय का जज्बा पैरा कमांडो की तरह हो।
याद कीजिए सतयुग के चक्रवर्ती राजा हरिश्चन्द्र जी को जिन्होंने जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी अपने धीरज साहस शौर्य को कमजोर नही होने दिया।
स्मरण कीजिए आर्य शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी  के जीवन को जिन्होंने समस्याओं को चुनौती समझा ना कि अपनी किस्मत को कोसा, और अपनी धीरता वीरता,शूरता ,पराक्रम के द्वारा अपनी चुनौतियों को ही अवसर में परिवर्तित कर के आर्य वंश के गौरव और श्रेष्ठता को स्थापित किया।
मित्रों आज का दिवस श्रीकृष्ण जी की  नीति निपुणता, चाणक्य और चन्द्रगुप्त का ज्ञान कर्म का उच्चतम स्तर का  शुभ प्रेरणापूर्ण मेल,गौतम, कणाद,ऋषि दयानंद जी 
की देश पर मर मिटने और आध्यात्मिक उन्नति के द्वारा 
भारतवर्ष के गौरवशाली स्वर्णिम अतीत की ओर अग्रसर होने का संकल्प लेने का समय है।
आज के समाज मे यदि हमे सफल सुखी स्वस्थ तन और मन रखना है तो सबसे पहले धीरज धारण करना पड़ेगा घर परिवार के मामलों कुछ को माफ करना पड़ेगा, कुछ से माफी मांग कर रिश्तों के नये गणतंत्र  का शुभारंभ कर पाएंगे।
अपने ईश्वर, गुरुजनों ,माता पिता की सर्वोच्च सत्ता को पुनः स्थापित करना पड़ेगा।
दोस्तों आज का दिन कुछ संकल्प करने  का समय है कि हम धर्मवीर बने हकीकत रॉय की तरह,भक्त बने प्रहलाद की तरह,धनवान बने भामाशाह की तरह,वीर बने महाराणा प्रताप की तरह,आयुष्मान बने पितामह भीष्म की तरह तभी तिरंगे की आन बान शान हिमालय की तरह अटूट अक्षुण्ण रहेगी।
जय हिंद
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
पं ब्रह्मदेव वेदालंकार