Tuesday 26 July 2011

चिंता और चिंतन

जीवन चिंता नहीं,अपितु चिंतन और आचरण का नाम है .चिता  छोड़ कर चिंतन करे

Sunday 24 July 2011

बैर ,वासना और वहम

हमारे ऋषि मुनियों ने हमेशा मनुष्य को सत्य का ज्ञान दिया जो आज तक सिद्ध है..यदि इंसान उसका पालन करे तो आज भी हम  कभी दुखी न हो..
कहा गया है की :: बैर ,वासना और वहम जीवन और मृत्यु दोनों को बिगाड़  देते है....

ब्रह्मदेव वेदालंकार
(09350894633 )

Thursday 21 July 2011

प्रभु के प्रति समर्पण :सच्ची घटना



एक समय किसी गाँव में एक बहुत ही गरीब परिवार रहता था उस परिवार में एक बालक था वो  पढने   में बहुत होशियार  था  माता  पिता  ने  उसको  ये  कहा  की  तुम्हारी  पढाई  में हम  अपनी  गरीबी  को बाधक  नहीं  बनने देंगे  हम  महनत   मजदूरी  कर के  तुम्हारी  शिक्षा  पूर्ण  करायेगे | एक सुबह   बालक  उठा  तो  माँ  ने  कहा  की  आज  घर में केवल चार रोटी का आटा ही है ,आप के पिता जी के लिए ही है जिसमे से आप के लिए दो रोटी और आप के पिता जी के लिए एक रोटी और मेरे लिए एक रोटी है |
बालक  ने  बड़े ही दुखी मन से  रोटी खाई और स्कूल के लिए चल दिया  स्कूल के रास्ते में एक गाँव और आता था  बालक ने एक घर में आवाज़ दी अंदर से एक महिला निकल कर आई और कहा की बोलो बेटा क्या बात है बालक ने कहा की माँ मुझे बड़े जोर की प्यास  लगी है उस महिला को समझते देर नहीं लगी की बालक भूखा है वह अन्दर गई और जा कर एक बड़ा गिलास दूध से भर कर दे दिया |बालक ने भी दूध प़ी कर उस का धन्यवाद किया और यह कहा की माँ मेरी माँ ने मुझे यह सिखाया है अगर कोई आप पर उपकार करे तो आप  को भी बदले में उपकार करना चाहिए मेरी माँ ने मुझे स्कूल फीस के लिए एक रुपे दिया है वो मै आप को दे देता हूँ  उस महिला ने कहा की बेटा तुम खूब पढो लिखो यही मेरे लिए आप का उपकार है  खैर कहानी एक भाग यही बीत जाता है कुछ वर्षो बाद एक किसी गाँव में एक महिला बहुत बीमार हो गई दर्द से परेशान हो कर के गाँव के डॉक्टर के पास जाती है डॉक्टर  ने   उन का दर्द देख कर उन को सिटी के किसी बड़े हॉस्पिटल में जाने को कहा वो शहर के बड़े हॉस्पिटल में भारती हो गई विशेषज्ञ ने परिक्षण करके  उनका operation कर दिया धीरे धीरे वो स्वस्थ होने लगी लेकिन एक चिंता ने उन को घेर लिया की इस हॉस्पिटल का बिल कैसे भुगतान होगा जब वो स्वस्थ हो गई  तो डॉक्टर ने को घर जाने को कहा तो उस महिला ने अपना बिल मागा तो कैश काउंटर पर  बैठे हुआ आदमी ने यह कहा की आप बिल के लिए  डॉक्टर से मिल लीजिये | वो महिला यह सोच कर और परेशान  हो गई की लगता है की बिल ज्यादा होगा तभी   डॉक्टर से मिलने के लिए कहा है वो बुजुर्ग महिला परेशान होती हुई डॉक्टर के चम्बर में जा कर बोली डॉक्टर साहब जो मेरा बिल है  दे दीजिये .डाक्टर ने कहा की आपका कोई बिल नहीं है आप घर जाईये,तब माता जी ने कहा की बेटा कोई बिल कैसे नहीं है?जो है मुझे बता दो ,मैं दूंगी.. तब उसने कहा की ,"माँ आपने मुझे पहचाना नहीं ,मै वही बालक हू जिसे आपने एक दिन दूध पिलाया था ,जब मै कुछ बन गया तो हमेशा ही आपको ढूद्ता रहा,,आज इस ऋण से उऋण  होने का अवसर आया है |इसलिए माँ मैंने सारा बिल चुकता कर दिया...अगर आपको बिल देने की जिद है तो मै घर आऊंगा तो आप मुझे अपने हाथों से दूध पिला दीजियेगा,वही बिल है " ||

 

मै जब भी इस कहानी को पढता हू, सुनता हू  तो मिझे एहसास होता है की एक बालक ने दूध के ऋण के लिए पूर्ण जीवन उस माँ को ढूढता  रहा और जिस  परमात्मा ने हमे सब कुछ दिया है हम उसी को भूल जाते है??क्या हमे उसका उपकार भूल जाना चाहिए?क्या इश्वर सिर्फ हमे दुःख में ही याद करना चाहिए, में इश करे??नहीं ,उस परमपिता परमात्मा का धन्यवाद् करी हमे उसका आभारी रहना चाहिए,eश्वर का ध्यान करना चाहिए  ताकि हम हमेशा जीवन में उन्नति करते रहे.|

Wednesday 20 July 2011

सफलता

जैसे दीपक जलकर अँधेरे को दूर करता है वैसे ही मन में शुभ विचार जगाने पर सफलता निश्चित है.....आचे विचारो को सुन कर उन पर चलने का प्रयास करे....
ब्रह्मदेव
(9350894633)

Monday 18 July 2011

झुकता वही है जो इन्सान है,अकड़ तो मुर्दों की पहचान है...

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥


यह प्रकति हमे विभिन्न प्रकार से समझाती रहती है...हम बहुत कुछ इस जीवन में प्रकति से सीखते है.
एक वृक्ष  पर जब फल लग जाते है तो वह झुक जाता ,और अकड़ता नहीं है लेकिन हम मनुष्य उससे सीखना नहीं चाहते,हमारे अन्दर यदि कोई एक भी सदगुण आता है तो हम और अड़ियल हो जाते है घमंड करते है क्योकि  झुकना हमने सिखा ही नहीं...
मित्रो इस जीवन में जो  अहंकार करता है वो उन्नति नहीं कर पता,जो झुकता नहीं वो टूट जाता है,...
रावण के अन्दर इतना ज्ञान था लेकिन सज्जनता और विनम्रता न होने के कारन वह अहंकार में ही नष्ट हो गया,..
किसी कवि ने सुन्दर ही लिखा है..
झुकता वही है जो इन्सान है,अकड़ तो मुर्दों की पहचान है...
इसलिए मित्रो अपने अन्दर के ज्ञान को जगाओ और अपने विनम्र और शालीनता के आचरण से विजय प्राप्त करो......
धन्यवाद
ब्रह्मदेव वेदालंकार
(9350894633)