प्रिय मित्रो,
आज अन्ना जी के वक्तव्य पर बवाल हो रहा है कि ज सार्वजनिक रूप से झगडा फसाद करता है पूरे दिन कमाने के बाद जब शाम को घर में गृहणी उसका इंतज़ार कर रही होती है तब वो शराबी अपने दिन भर की मेहनत की कमाई को शराब में उड़ा देता है और उसके बच्चे घर में भूखे पेट सो जाते है ,उस शराबी को सुधारने की 3 बार चेतावनी देने के बाद यदि वह नहीं सुधरता तो उसको सार्वजनिक रूप से दण्डित किया जाये ....
जरा विचार कीजिये,...जब किसी भवन को सुन्दर,सुरम्य व अपने अनुकूल भवन बनाना हो तो पहले वहां के खंडहर को तोडा जाता है और उसके स्थान पर भवन खड़ा किया जाता है ..| जिस प्रकार हमारे शारीर में रीढ़ की हड्डी का स्थान होता है ठीक उसी प्रकार से युवा वर्ग का स्थान समाज में होता है | यदि इस युवा वर्ग को ही ख़तम कर दिया जाये तो समाज रुपी भवन को जर्जर होते देर न लगेगी | शराब ,नशाखोरी की लत इंसान को मानसिक रूप से नष्ट कर देती है ,और कहा भी गया है की मन के हारे हार है और मन के जीते जीत |
इसलिए ,हम अन्ना का समर्थन करते है क्योकि कहने को तो केरल आज सबसे ज्यादा साक्षर राज्य है लेकिन अगर आकड़ो की बात करे तो सबसे ज्यादा शराब की खपत भी वहीँ होती है ,सबसे ज्यादा आत्महत्या (आकड़ो के माध्यम से) केरल में होती है /......
सिर्फ पाबन्दी लगा देने से बुराई समाप्त नहीं होती ,बुराई समाप्त होती है आत्मजागरण से आज के युवा को हमे जगाना है नशे के खिलाफ ताकि नशा स्वयं समाप्त हो जाये ...| आज जरुरत है अपने अन्दर झाकने की की हम धन,बल,'संस्कार' ,परिवार से पूर्ण होने पर भी नशे की ओर क्यों भागते है ??? इसका कारन लगता है मन का कमजोर होना ,मन को मजबूत करे ,आत्मचिंतन करे...मनन की शक्ति बहुत बलवान होती है इसी ने एक 'नरेन्द्र नाथ 'को 'स्वामी विवेकानंद' बनादिया, 'गुदड़ी के लाल ' 'लाल बहादुर शास्त्री बने','मूलशंकर' 'स्वामी दयानंद' बने ....
अपने अन्दर सहनशीलता को लाओ,ज्ञान के माध्यम से सत्य और असत्य ,सही और गलत में अंतर को पहचानो ,जीवन में बड़ा आदमी बन जाना ही सब कुछ नहीं है ,एक अच्छा इंसान बनना भी जरुरी है.इंसान अच्छा बनता है ज्ञान से,विचारो से ,कर्म से इसलिए मित्रो आत्मज्गरण करे ,और अपने अन्दर एक क्रांति की मशाल को जलाये और इन बातो पर विचार करे....
ब्रह्मदेव वेदालंकार
(09350894633)
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