सीखना एक कला है | इंसान अपने जीवनकाल में निरंतर ,प्रतिदिन,हरपाल सीखता है.....सीख कर और उस पर चल ही जीवन को उत्क्रष्ट बनाया जा सकता है | हमे निरंतर ज्ञान अर्जित करके उससे अपने जीवन और सुखमयी बनाना चाहिए लेकिन अपने लक्ष्य को भी नहीं भूलना चाहिए..
इस संसार में हर वास्तु चाहे वो छोटी हो या बड़ी हमे सिखाती है...जैसे सूर्य को देखिये,सूर्य हमेशा समय से उदय होता है और समय से अस्त होता है ,पर सूर्य से हमने क्या सीखा ?क्या हम अपने काम को समय से करते है...हम कहते है 'कल' करेंगे ,क्यों?क्या सूर्य ये कह दे की आज मैं उदय नहीं होऊंगा,तो क्या ये सृष्टि चल सकती है?निश्चित ही उत्तर है 'नहीं"
दूसरा,अगर आप ध्यान दे तो देखेंगे कि सूर्य नदी से जल लेता है (water lifecycle -evaporation ) ,सरोवर से जल लेता है,नाले से जल लेता है परन्तु जहाँ से भी जल लेता है चाहे वो स्वच्छ जल हो या गन्दा हो लेकिन हमेशा सूर्य स्वच्छ जल ही ग्रहण करता है.....नाला ही देख लीजिये लेकिन जब सूरज वहां से जल लेता है तो गन्दा जल नहीं लेता....अर्थात मित्रो जीवन में कोई कितना ही गिरा हुआ क्यों न हो,कोई कितना ही गन्दा हो लेकिन आप हमेशा अच्छी बातो को ग्रहण करो,अच्छे विचारो को ग्रहण करो,अच्छे संस्कारो को प्राप्त करो लेकिन बुरे विचारो को कभी प्राप्त मत करो...सूर्य जैसे प्रकाशवान बनो,इसलिए स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने भी कहा कि "सत्य कि ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सदैव तैयार रहो" |
Bahut hi aacha lekh hai aapka.....
ReplyDeleteom
नमस्ते जी ! अच्छा लेख है प्रसंशा योग्य है धन्यवाद
ReplyDeleteIs soch ke liye aap ko badhai. Aap ke lekh padh swam par vishwas or sabalta ka anubhav hota hai. Apka bahut bahut Dhanyavaad.
ReplyDeletenamaskar.swami ji apka lekh bahut hi acha laga aur is bat ko jivan me utar kar in baton ko sarthak karne ka prayas karunga.
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