कुछ दिन पहले मेरा एक आर्य समाज में प्रवचन का कार्यक्रम था ,वहां पर प्रवचन के उपरांत एक महानुभाव मेरे पास आये और प्रशन किया की "मेरे माता पिता ने मेरी पढाई पर बहुत खर्च किया था ,आज मै ऊचे पद पर पहुच गया हू मैंने उन्हें वो पैसा लौटा दिया और उनके रहने की व्यवस्था कर दी ,इसलिए मै मानता हू की मैंने उनका अहसान चुका दिया है ,लेकिन वो यह नहीं मानते ,मै क्या करू??"
मैंने कहां-
महोदय,जो आपके माता पिता ने पैसे खर्च किये वो आपने लौटा दिए पर वो पल,वो क्षण,वो समय लौटा दिया,जो आपके माता पिता ने आपको पालने में व्यतीत किया?एक छोटा बच्चा जब गलती करता है तो उसके पिता उसे समझाते है,लेकिन जब एक बूढ़ा पिता जब गलती करता है तो हम उसे डाटते है....जरा विचार करें ...
जब एक बच्चा चलते चलते गिरता है तो हम उसे हाथ पकड़ कर चलना सिखाते है लेकिन जब एक बूढ़ा पिता चलते हुए गिर जाये तो हम गुस्सा दिखाते है ...हम बूढ़े माँ-बाप को पैसा देकर छोड़ देते है अकेला जीने के लिए जहाँ उसे सहारे की जरुरत होती है ,लेकिन जरा विचार करें अगर माता पिता एक २ साल के छोटे बच्चे को छोड़ दे तो क्या वो जी पायेगा ......फिर भी न जाने क्यों लोग कहते है की हमने उनके अहसान चुका दिए.....!
वेद में कहां गया है की माता पिता की सेवा करना हमारा धर्मं है ...लेकिन वो सेवा कैसी हो ये समझने की जरुरत है ...इंसान को ये नहीं भूलना चाहिए की जिस समय से माता पिता गुज़र रहे है वो समय निश्चित रूप से हमारा भी आएगा...|क्या हमारा कर्त्तव्य नहीं की हम अपने माता-पिता को खुशिया दे जिन्होंने हमारे लिए अपनी खुशिया कुर्बान कर दी????
मुझे एक घटना याद आती है,एक समय एक राज्य में राजा राज करता था...उसने अपनी माँ से कहा की तूने जो किया है मै वो तुझे दे चुका हू अब तू मुझ पर अपना हक मत जमाया कर...|एक दिन रात्रि में जब राजा सो रहा था तब माँ ने उसके बिस्तर में लोटे से पानी डाल दिया,राजा की नींद खुली और वो अपशब्द का प्रयोग करते हुए बोला -अरे बुढ़िया ! ये क्या किया मेरा बिस्तर गीला कर दिया ,तू क्या चाहती है ???माँ ने उत्तर दिया-"बेटा,जब तू छोटा था इसी तरह रात को नींद में बिस्तर गीला कर देता था और रोने लगता था ,तब मै तुझे सूखे में सुलाती थी और खुद गीले में सोती थी,क्या वो समय भूल गया..."
मित्रो यह सुन कर राजा की आंखे खुली रह गयी और उसे अपनी गलती का अहसास हो गया,पैरो में माँ के गिर कर रोने लगा.........
मित्रो माता पिता का आशीर्वाद न हो तो हम जीवन में कभी भी सफल नहीं हो सकते...,यदि माता पिता के प्रति अपना दायित्व पूरा नहीं करते तो कभी सुखी नहीं रह सकते...उन्होंने जो हमारे लिए किया वह अहसान कभी नहीं चुका सकते ,प्रयास जरुर कर सकते है इसलिए हमेशा अपने माता-पिता की सेवा करते हुए जीवन में आगे बढे,उनकी सेवा करें ,विजयी बने...और इससे न केवल आपको आशीर्वाद प्राप्त होगा अपितु आपको आत्मविश्वास भी मिलेगा,नयी ऊर्जा मिलेगी......
पं ब्रह्मदेव वेदालंकार
(09350894633 ) .
wah kya prawachan hai aur kya seekh milta hai.
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