Monday, 19 December 2011

रूस ने कहा की गीता हिंसा एवं आतंकवाद को बढ़ावा देती है ,क्या ये सही है ????


रूस ने हिन्दू ग्रन्थ 'गीता' को  बैन कर दिया ,उनका कहना  है की ये पुस्तक  हिंसा को बढ़ावा देती है,आतंकवाद की समर्थक है | आइये आज इसी पर विचार करते है की क्या सचमुच श्री कृष्ण ने हिंसा की शिक्षा दी?क्या युगप्रवर्तक के नाम से जाने जाने वाले श्रीकृष्ण आतंकवाद को बढ़ावा देते थे??सत्य क्या है ???
गीता हमे आतंकवाद नहीं,जीने की कला सिखाती है|
गीता हमे बहार की चकाचौंध से हटकर अन्दर के प्रकाशवान आन्तरिक आत्मविश्वास से परिचय करवाती है |
गीता हमे जीवन के उतार चढ़ाव में स्थिर रहना सिखाती है |
गीता हमे प्रकृति के साथ सामंजस्य करना सिखाती है|
और ऊपर कही गयी एक एक बात को सिद्ध क्या जा सकता है |........
गीता के अन्दर जो शिक्षा है उसका विश्लेषण मेरी दृष्टिकोण में :-
यदि मैं एक व्यक्ति से कहू की आप के दीपक जला कर ले आईये ,लेकिन दीपक को खुली जगह में ही जलना| निश्चित ही यह कठिन कार्य है ,लेकिन वह व्यक्ति एक बगीचे में गया और एक वृक्ष के निचे बैठकर उसे जला लिए ,लेकिन जलाते ही वह दीपक उसके हाथ से छूट गया और पूरे बगीचे में आग लग गयी|अब मैं आपसे पूछता हु -
दीपक के न जलने का कारन क्या था?कौन था दीपक का दुश्मन ? ...आप कहेंगे हवा |
अब मई आपसे पूछता हू की वह आग किसकी वजह से फैली ?....तो आप कहेंगे हवा की वजह से....
जो हवा कुछ क्षण पहले दीपक की दुश्मन थी वही अब दोस्त बन कर आग को फैलाने में मदद कर रही है......गीता का सन्देश  भी कुछ aiisa  ही है की विपरीत परिस्थिति में हम अटूट  ,अखंड,अटल,आस्थावान रहते है तो हमारी विपरीत परिस्थिति भी अनुकूल बन जाती है |जीवन में इतना परिश्रम करे,इतना आत्मविश्वास के साथ के साथ आगे बढे की आपके दुश्मन भी आपकी सहायता करने पर मजबूर हो जाये,वो आपके साथ चलने को मजबूर हो जाये.....जीवन में विजय प्राप्त करने के लिए अपनी विपरीत परिस्थिति को भी अपने अनुकूल बनाना सीखो यह है गीता का सन्देश....जीवन में विजय प्राप्त करने के लिए संघर्ष द्वारा परिश्रम का रास्ता चुनो यह है गीता का सन्देश.......||||||


गीता में श्री कृष्ण कहते है की "आप कर्म करे और फल की इच्छा न करे " क्या इसमें हिंसा है ,मै कहता हु यदि इस बात को आज का विद्यार्थी समझ ले तो देश में जो हर रोज हमे सुनने को आता है किसी बालक ने परीक्षाफल के डर से आत्महत्या कर ली,वो होगी???क्या श्री कृष्ण ने यहाँ, हिंसा को बढ़ावा दिया?यदि उन्होंने ने यह कहा की जीवन में सत्य और असत्य को समझे तो क्या ये गलत है .....???
मेरे मित्रो गीता में जो अनमोल बाते लिखी है वह सच में कोई वेद का विद्वान् ही कह सकता है ,श्री कृष्ण सच्चे अर्थो में वेद के विद्वान थे....यह बात सिद्ध भी की जा चुकी है की कौन सा श्लोक उन्होंने किस वेद से लिया है और मंत्र क्या है जहाँ से उन्होंने ये बात कही.....
इसलिए गीता जैसे ग्रन्थ का विरोध करना तो शायद हमारी संस्कृति पर दाग  लगाने जैसा है,हम इसका विरोध करते है  ....कोई भी आदालत चाहे जो फैसला करे लेकिन गीता की सार्थकता पर प्रश्नचिंह नहीं लगाया  जा सकता......




ब्रह्मदेव वेदालंकार
(09350894633 )

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