हमे कृतज्ञ बनना चाहिए न की कृतघ्न .इश्वर की व्यवस्था भी अदभुद है ,मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतंत्र है और और फल भोगने के लिए परतंत्र.अर्थात हम जो कर्म करना चाहते है वह हम करते तो है लेकिन उसका फल भी हमे अवश्य लेना पड़ता है....यह कुछ उसी तरह है जैसे एक किसान खेत में जो बोता है समय आने पर उसे वही मिलता है ,यही जीवन है.....इसलिए सत्कर्म करे,अच्छे कर्म करे और सुखी रहते हुए विजय को प्राप्त करे...
pt. Brahm Dev Vedalankar
(09350894633)
pt. Brahm Dev Vedalankar
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Good...
ReplyDeleteRakesh Kumar