Monday, 13 June 2011

क्यों छोड़े बुरी आदतों और विचारो को???

मै जैसा हू सो तैसा हु,अच्छा हू .....ये बोल कर क्या आप अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग रहे??
क्या यह आपका कर्त्तव्य नहीं है की आप अपने अन्दर की कमियों को पहचाने और उनको दूर करे???और जब कोई दूसरा आपको आपकी कमी बताता है तो आपको गुस्सा आता है...!!.क्या आप सही मार्ग पर चल रहे है....???
 यदि आपका घर छोटा है और नया सामान  रखने की जगह नहीं है तो आप क्या करेंगे ??पहले पुराना सामान जो काम का नहीं है उसको निकालेंगे,जगह बनायेंगे और नया सामान  लायेंगे...यही बात आप अपने जीवन में क्यों नहीं अपनाते?जब तक आप अपने अन्दर की बुराइयों ,कमियों को बाहर नहीं निकालेंगे तब तक कोई अच्छाई ,अच्छा गुण ,संस्कार आपके अन्दर कैसे आएगा???विचार करे...
अपने अन्दर की बुराइयों  को समाप्त करना  और अच्छाई ,गुण,कर्म,संस्कार को धारण करना हम मनुष्यों का कर्त्तव्य है नहीं तो आप ये बताये की आपमें और एक पशु में क्या अंतर रह गया???
इसलिए वेद में मंत्र आता है "ओउम विश्वनी देव सवितार्दुरितानी परासुव यद् भद्रं तन्न आसुव ."
अर्थात "हे प्रभु मेरे अन्दर की बुराइयों  को दूर कर,मुझे बल दे की  मै अपनी कमियों को पहचान कर दूर करू और अच्छे गुण.संस्कार को धारण करू..."
इसलिए आप,हम,सभी लोग सत्य को पहचाने,उसको माने और अपने को श्रेष्ठ ,अच्छा,और सच्चे अर्थो में मनुष्य बनाये....आत्मचिंतनबहुत जरुरी है,आत्मचिंतन करे ,मंथन करे और जीवन सुखमयी बनाये...
ब्रह्मदेव 
Pt. Brahm Dev Vedalankar               
(09350894633)


3 comments:

  1. Sir,aapke vicharo se prerit hokar hi aaj hum is mukam par pahuche hai....
    Ankit Garg (Dav,class of 2006)

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  2. Ankur Aggarwal14 June 2011 at 18:14

    well said aacharya ji,you are sincerally working for Protection of indian culture.We are not in India but after reading this I am feeling that i am in India at this time....well said aacharya ji....

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  3. sir,aap ek bahut achche vakta hai,aap jis tarah baato ko samjhate hai wah adbudh hai...

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