Sunday, 29 April 2012

हिम्मत करने वालो की हार नहीं होती

मै कल इस कविता को पढ़ रहा था,आपसे भी इसको share कर रहा हू....
हरिवंशराय बच्चन जी ने बहुत ही अच्छी और प्रेरणादायक कविता लिखी है ,हम सभी इससे सीख लें.....

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।



डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।


असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

                                                             -हरिवंशराय बच्चन

Thursday, 22 March 2012

जीना तो नहीं भूल गए....??

पहले हाई स्कूल अच्छे नम्बरों से पास करने  के लिए
वो मरते रहे...
फिर कालेज पूरा करने के लिए डेट रहे ताकि
कमाना शुरू कर सके ...
फिर शादी के लिए बेचैन रहे
और फिर बच्चो के लिए,
फिर बच्चे बड़े होकर कुछ बन जायें
इस कोशिश में तपते रहे,
फिर एक दिन वो रिटायर हो गए काम से ,
और आज जिन्दगी से रिटायर हो रहे हैं...
क्योकि मौत दरवाजे पर दस्तक दे रही है .....
और अचानक उन्हें लग रहा है ,
जिन्दगी की भागमभाग में वो जीना भूल ही गए थे ,
कहीं आप तो वो नहीं .....??
आप अपने साथ ऐसा मत होने देना ,ऐ दोस्त
जमकर जीना और उल्लास से जीना .............
नहीं तो कहीं जिन्दगी निकल न जाये.........
   

Monday, 27 February 2012

जिन्दगी को जीत लें


जीवन में जब कठ्नायियाँ आती है तो कष्ट होता है ,लेकिन जब वही  कठनाइयां जाती है तो प्रसन्नता के साथ साथ एक आत्मबल प्रदान करती है,एक नया आत्मविश्वास जगाती है जो की उन कष्टों की तुलना में कहीं अधिक मूल्यवान है ....इसलिए कष्टों से घबराएं नहीं अपितु पूरे आत्मविश्वास के साथ उनका सामन करें...क्योकि रात चाहे जितनी लम्बी हो लेकिन सुबह अवश्य होती है ......

ब्रह्मदेव वेदालंकार

Thursday, 19 January 2012

उपवास उपासना क्यों??


हम समाज में प्राय: देखते है की कोई न कोई मनुष्य प्राय: कभी न कभी उपवास में रहता है ।जब हम उपवास में रहने वाले से पूछते है तो वह बड़े ही दिव्या भावो को अपने अन्दर समेटे हुए श्रद्धावान दीखता है ।जब हम सब मिलकर चर्चा करते है की उपवास क्यों रखा जाता है तो कुछ लोग अपनी कामना पूर्ती के लिए उपवास रखते है तो कुछ इसलिए उपवास रखते है की आने वाले कष्टों से उनका छुटकारा हो जायेगा ।लेकिन आईये मिलकर विचार करें की उपवास का वास्तविक अर्थ क्या है ?तो इसका उत्तर यह है की उपवास का अर्थ होता हिया समीप बैठना ,तो प्रश्न उठता है की किसके समीप बैठना ?इसका उत्तर वेदों में मिलता है की इस संसार में तीन चीज शःस्वत और सत्य है-इश्वर ,जीव और प्रकृति ।
                    सर्वप्रथम हमे ओने संसार अर्थात प्रकृति को हमे सर्वश्रेठ शुभ और सुमंगल मन्ना पड़ेगा क्योकि इस प्रकृति की रचना परमात्मा की रचना है और जब प्रभु मंगलकारी है तो निश्चित रूप से उनकी रचना भी मंगलकारी है।पूर्ण परमात्मा की कृति भी अपने आप में पूर्ण है ।
२. दूसरी चीज हम स्वयं है -जीव और हमे प्रभु ने शारीर रुपी साधन इसलिए दिया है की परमात्मा रुपी मंजिल को प्राप्त कर ले ।लेकिन शारीर को लक्ष्य समझकर मंजिल से दूर हो जाते है ।हमे प्रतिदिन ये विचार करना चाहिए की हम जीवात्मा शारीर से अलग और स्वतंत्र है ।


३. तीसरी चीज है -परमात्मा जो की अपने आप में जीव और प्रकृति दोनों से श्रेष्ठ है और सबका पूजनीय है ।अब उपवास का उत्तर मिला की वास्तव में हम सबको अद्भुद शक्तियों से युक्त उस परमात्मा की शरण में रहना ही उपवास है ।आप जब कभी अपने प्रियतम के समीप बैठते है तो उस समय भूख प्यास भूलकर केवल उसके रंग में रंग जाते है ।उपवास का यही भाव है जब हम उस परमात्मा के समीप बैठते है या रहते है तो उसी के गुण धारण कर लेते है और वह प्रभु सुख स्वरुप है तो निश्चित रूप से हम भी सुख से युक्त हो जाते है ।वह प्रभु ऐश्वर्याशाली है तो हम भी ऐश्वर्या से युक्त हो जाते है ।
                          आगे जब हम उसके पास बैठना सीख जाते है तो निश्चित रूप से उपासना भी हम सर्वशक्तिमान  परमात्मा की करते है ।और उपासना से ही राम श्रीराम हो गए,हनुमान श्री हनुमान हो गए ,तुलसी तुलसीदास हो गए,मूलशंकर स्वामी दयानंद हो गए,नरेन्द्रनाथ स्वामी विवेकानंद हो गए ।
तो आईये अपने उपवास से उपासना करें तो निश्चित रूप से हम सभी के अन्दर जो दिव्या शक्तिया सोई पड़ी है वो सब जाग जाएँगी और जब वो शक्तिया जग जाएँगी तो हम मानव से महामानव बनकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करके सुख समृद्ध यशस्वी बन कर उस पलक प्रभु की जय जयकार करेंगे.........

Tuesday, 17 January 2012

समर्पण


हमारा पलक प्रभु अदभुद विलक्षण सामर्थ्य से भरपूर है |वह सूर्य जैसे देवो को भी प्रकाश देता है |तो सोचने वाली बात यह है की जो सूर्यचन्द्र तारों को अपनी शक्ति से प्रकाश देता है तो यदि उस प्रभु को हम  अपने ह्रदय में प्रकाशित कर ले तो हम स्वयं प्रकाशित हो जायेंगे|जैसा की हम जानते है की दुःख व कष्ट उसका नाम है जो हमसे दूर है ,हमारे विपरीत है लेकिन यदि हम उसकी कृपा को अपने आँचल में समेट लेंगे तो सारे दुःख व कष्ट अपने आप दूर हो जायेंगे |
एक कहानी याद आती है जिसमे एक गुरु के पास दो शिष्य पढने जाते है तो गुरु पूछता है की एक जगह अँधेरा है ,उसको दूर करने का क्या उपाय है ??एक शिष्य कहता है की तलवार लो और उस अँधेरे को काट दो ,और दूसरा शिष्य कहता है की गुरूजी एक दीपक जला दीजिये अँधेरा अपने आप दूर हो जायेगा |ठीक उसी प्रकार से मित्रो प्रभु कृपा रुपी दीपक जब जीवन में प्रज्वलित होगा तो निश्चित रूप से दुःख,कष्ट ,दरिद्रता रुपी अँधेरा अपने आप दूर हो जायेगा ....
आगे हमारे वेदों में वर्णन आता है की जैसे लोहे को अपने खांचे में ढालने के लिए अग्नि में तपाया जाता है तो लोहा भी अग्नि के जैसे हो जाता है ठीक उसी प्रकार से जब हम तपस्या रुपी जीवन  ज्योति  को जागृत कर लेंगे ,जीवन संघर्ष को तप से तपाये रखेंगे  तो निश्चित रूप से हमारी  सफलता  स्वर्णिम  होगी  |इसलिए कहा गया है की सत्य का ग्रहण करें ,विद्या को प्राप्त करें,अच्छाई के रस्ते पर चलते हुए अपने लक्ष्य की और बढे....अपना ध्यान हमेशा लक्ष्य पर लगायें जो समस्या आयें उन पर ध्यान केन्द्रित न करें क्योकि वो उस अन्धकार की तरह है जो की प्रकाश होने पर स्वयं नष्ट हो जाता है... इसलिए आप सन्मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाएं ... 

ब्रह्मदेव वेदालंकार
(09350894633 )