मित्रों ये गणतंत्र है,इसके आदि प्रणेता मनु है।
ये भारत की शान है,हम सबकी पहचान है।
हम कपिल,कणाद,गौतम की सन्तान है।
हमारे प्रेरक स्वयं राजा भरत है,जिनसे भारत की पहचान है।
ये भूमि बड़ी उर्वरा है दिव्य है,महान है।
क्योंकि हरिश्चंद्र युधिष्ठिर, श्रीराम, श्रीकृष्ण की पुण्यभूमि
आर्यावर्त महान है।
इसकी रक्षा करने को यदि शीश कटाने पड़ जाए
इसकी रक्षा करने को यदि स्वयं को अर्पण करना पड़ जाए
तो मातृभूमि की रक्षा में तन मन धन न्यौछावर कर देंगे
लेकिन तिरंगे की शान इसकी आन को धूमिल
नही होने देंगे चाहे खुद मिट्टी में मिलना पड़े।
आओ चले भगत,बिस्मिल,खुदीराम बोस की राहें
ताकि फिर नेता जी को ना कहना पड़े तुम मुझे खून......
ताकि फिर किसी 'आज़ाद' को आज़ादी के लिए कोड़े ना लगे
ब्रह्मदेव की ओर से गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
करे स्वीकार, सादर आभार सहित
द्वारा..पं ब्रह्मदेव वेदालंकार
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