नमस्ते जी।इस मकर संक्रांति मैंने यह कुछ प्रभु को समर्पित करते हुए कविता लिखी है।आप भी आनंद लेऔर अपना स्नेह प्रदान करे।
हे मेरे वरेण्यम प्रभु वरदान दो,
सूर्य के पथ पर चलू निरन्तर,
ज्ञान दो सद्ज्ञान दो मेरे प्रभु
जीवन में दक्षिणायण ना आये कभी
उत्तरायण में बीते जीवन की घड़िया।
उत्तरायण के मार्ग पर चलता हुआ
सत्य की जय करता हुआ सदा,
क्योंकि सत्य भी आप ही है
और नारायण भी आप ही है।
आपका अटल पथ उत्तरायण है।
उत्तरायण के पथ पर चलता हुआ
विचलित ना हूँ कभी दक्षिणायन की बाधाओं से।
जीवन का अज्ञान तिमिर भस्म हो आपके प्रकाश से।
आपके दिखाये पथ पर चलकर
जीवन के संग्राम में बड़ो के बताए
मार्ग का आरोहण कर के
देवत्व का वरण करु
मैं ब्रह्म हूँ विजयी रहूँ, देवत्व के मार्ग में।
विजयी रहूँ, विजयी रहूँ देवत्व के मार्ग में।
द्वारा पं ब्रह्मदेव वेदालंकार
Aacharya BrahmDev Vedalankar
Wednesday, 16 January 2019
मकर संक्रांति
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