Wednesday, 15 November 2017

Hardwork is life

During the exile, Shriram was sitting in the cottage that he had a desire to meet Shabari. Considering the mind, he approached the Shabari and saw that the flowers were blossomed around there, whose fragrance was burning all the forests. Every flower had a lot of fragrance. Sriram asked curiously the reason for the blossoming of flowers, he said, "God, there is an incident behind it." It was here long before the Ashram of Mathang Rishi. There were many sages and students living here.

Once during the Chaturmas, the fuel was going to end in the ashram. There was a need to bring dry timber before the rain. Sluggish students were not going to take wood in the forest. Seeing the students' indifference, the elderly Matanga Rishi kept an ax on his shoulder and walked towards the jungle to cut wood. If the master was seen going, the students followed them. Matang Rishi cut dry woods and tied them and put them on their shoulders, all the people started returning to the ashram. Matang Rishi was walking ahead and the students were following them.

Suddenly a student noticed that the drowsiness of sweat from the old teacher's body was dripping. But it was surprising that wherever drunk drops of teacher and disciples fell, beautiful flowers blossomed there. The same flower growing-growing has spread all over the forest today. It is the effect of the labor that they do not wither and are spreading their sweet fragrances around and around. When Lord Shriram heard this, he was surprised and said, "This is the excitement of labor, the smell of simplicity is the excitement of renunciation." These flowers are flowers of sweat. ' The glory of his life, which is based on labor and sanctity, remains forever for centuries.
Aacharya Braham dev ved alankar
Purohit aryasamaj delhi
9350894633

Tuesday, 7 November 2017

धर्म कर्म से बड़ा कर्तव्य है

काशी में गंगा के किनारे एक संत का आश्रम था। उसमें कई शिष्य अध्ययन करते थे। आखिर वह दिन आया जब शिक्षा पूरी होने के बाद गुरुदेव उन्हें अपना आशीर्वाद देकर विदा करने वाले थे। सुबह गंगा में स्नान करने के बाद गुरुदेव और सभी शिष्य पूजा करने बैठ गए। सभी ध्यानमग्न थे कि एक बच्चे की 'बचाओ बचाओ' की आवाज सुनाई पड़ी। बच्चा नदी में डूब रहा था। 

आवाज सुनकर गुरुदेव की आंखें खुल गईं। उन्होंने देखा कि एक शिष्य पूजा छोड़ बच्चे को बचाने के लिए नदी में कूद गया। वह किसी तरह बच्चे को बचाकर किनारे ले आया, लेकिन दूसरे शिष्य आंखें बंद किए ध्यानमग्न थे। पूजा खत्म होने के बाद गुरुदेव ने उन शिष्यों से पूछा,'क्या तुम लोगों को डूबते हुए बच्चे की आवाज सुनाई पड़ी थी?' शिष्यों ने कहा,'हां गुरुदेव, सुनी तो थी।' गुरुदेव ने कहा,'तब तुम्हारे मन में क्या विचार उठा था?' शिष्यों ने कहा, 'हम लोग ध्यान में डूबे थे। दूसरी तरफ ध्यान देने की बात मन में उठी ही नहीं।'

गुरुदेव ने कहा,'लेकिन तुम्हारा एक मित्र बच्चे को बचाने के लिए पूजा छोड़कर नदी में कूद पड़ा।' शिष्यों ने कहा,'उसने पूजा छोड़कर अधर्म किया है।' इस पर गुरुदेव ने कहा,'अधर्म उसने नहीं, तुम लोगों ने किया है। तुमने डूबते हुए बच्चे की पुकार अनसुनी कर दी। पूजा-पाठ, धर्म-कर्म का एक ही उद्देश्य होता है प्राणियों की रक्षा करना। तुम आश्रम में धर्मशास्त्रों, व्याकरणों, धर्म-कर्म आदि में पारंगत तो हुए, लेकिन धर्म का सार नहीं समझ सके।


परोपकार और संकट में फंसे दूसरे की सहायता करने से बड़ा कोई धर्म नहीं। पूजा पाठ का असल संदेश है कि हम दूसरे की मदद करें।' गुरुदेव ने उस शिष्य को अपना आशीर्वाद देकर आश्रम से विदा किया जिसने डूबते हुए बच्चे को बचाया था। शेष शिष्यों से कहा, 'अभी तुम्हारी शिक्षा अधूरी है।' 
Aacharya braham dev ved alankar aryasamaj delhi

Monday, 6 November 2017

जीवन

*उम्र की ऐसी की तैसी... !*👍

घर चाहे कैसा भी हो..
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..

सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..

कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना..
हो सके तो हाथ बढ़ा कर..
चाँद को छूने की कोशिश करना.

अगर हो लोगों से मिलना जुलना..
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..

भीगने देना बारिश में..
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो बच्चों को..
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..

कभी हो फुरसत, आसमान भी साफ हो..
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..

घर के सामने रखना एक पेड़..
उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य सुनना..

घर चाहे कैसा भी हो..
घर के एक कोने में..
खुलकर हँसने की जगह रखना.

चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दीजिये,

उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लीजिये.

ज़िंदा दिल रहिए जनाब,
ये चेहरे पे उदासी कैसी
वक्त तो बीत ही रहा है,
*उम्र की ऐसी की तैसी..!*😀😃